आसमान में छाया गया था प्रेम भरा रंग, हर मन में उठी रूहानियत, मनाई जाए राधा-कृष्ण की जयंती, जन्माष्टमी। यह त्योहार हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल श्रावण मास के अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस अवसर पर मनाए जाने वाले अनेक रंगों के उत्सव और खुशियों के साथ, कृष्ण जन्माष्टमी को गाने और दांस का आनंद मिलता है। चलिए जानते हैं, कैसे इस अद्भुत त्योहार में रंगों की आराधना की जाती है।
रंगों का महोत्सव: जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी, जीवन के साथ हमारे मन, शरीर और आत्मा के लिए स्वर्गीय आनंद का अद्यतन करने वाला त्योहार है। इस दिन कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था और जीवन में खुशियों की झंडी लहराई गयी थी। यह अनोखा त्योहार उनके गुणों, लीलाओं और महानताओं का स्मरण करता है। जन्माष्टमी पर्व की विशेषता है कि इस दिन सभी मंदिरों में, घरों में और आश्रमों में हर जगह श्री कृष्ण के भजन और आरती का सजाया जाता है।
भक्ति के साथ धुआंधार आरती
जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की आराधना और मन्दिरों में अर्चना की जाती है। राधा-कृष्ण भक्तों के लिए यह एक पवित्र और महत्वपूर्ण आयोजन है, जिसमें हर तरह के ध्यानस्थलों में रात्रि की पूजा और आरती होती है। जब घरों में आरती की ज्योति जलती है, तो सभी निवासियों का मन और आत्मा खुशी से भर जाता है। अत्यधिक भक्ति और श्रद्धा के साथ, भक्तजन आरती के दौरान प्रार्थना करते हैं और भगवान के समक्ष अपने प्रेम और विश्वास को प्रकट करते हैं।
जन्माष्टमी पूजा और व्रत की विधि
जन्माष्टमी पर्व के दिन भगवान कृष्ण की पूजा और व्रत करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्तजन ब्रत का पालन करके, पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद पाने का प्रयास करते हैं। व्रत करते समय सभी लोग अंनवत की रखी धूप और फल-फूल का उपयोग करते हैं, जो व्रत के विधानों में मान्यता रखता है। साथ ही, भगवान के भजन और मंत्रों का जाप करके पूजा की जाती है, जो भक्तजनों को आत्मिक शक्ति और साधना के लिए प्रबलता प्रदान करती है।
माखनकुमार की खुशियों का मेला
जन्माष्टमी को मनाने का एक अन्य रूप है श्री कृष्ण के प्रिय पदार्थों में से एक, माखन के प्रिय मेवे जैसे माखन, घी, मिश्री और नारियल की माला बनाना और उन्हें भगवान को अर्पित करना। यह मान्यता है कि श्री कृष्ण को माखन और मिश्री की खुशबू अत्यंत प्रिय है और उन्हें खाने से उनकी खुशी और आनंद बढ़ जाती है। इसलिए, श्री कृष्ण के आराधना में इन पदार्थों को शामिल करने का आदेश दिया जाता है और लोग इससे गहमांसी खुशियों का आनंद लेते हैं।
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